हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जाता है। यह दिन योग के महत्व, उसके शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए समर्पित है। भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2015 से इसे वैश्विक रूप से मान्यता दी। आज यह दिवस न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए स्वस्थ जीवनशैली और मानसिक शांति का प्रतीक बन चुका है।
योग क्या है?
योग केवल व्यायाम नहीं है, यह एक जीवन पद्धति है। यह शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है। योग का शाब्दिक अर्थ होता है “जुड़ना” यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन। इसमें विभिन्न शारीरिक मुद्राएं (आसन), श्वास नियंत्रण (प्राणायाम), ध्यान और संयम शामिल होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास
भारत की पहल
- वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा।
- उनके अनुसार, योग मानवता को एकजुट करने की शक्ति रखता है और यह केवल भारत का नहीं, पूरी दुनिया का धरोहर है।
- इसी प्रस्ताव को 193 देशों में से 177 देशों का समर्थन मिला, जो संयुक्त राष्ट्र में अब तक के सबसे अधिक समर्थन वाले प्रस्तावों में से एक है।
पहली बार कब मनाया गया?
- पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया।
- इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह साल का सबसे लंबा दिन होता है और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दुनिया भर में योग दिवस की धूम
आज के समय में अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका सहित दुनिया के हर कोने में योग लोकप्रिय हो चुका है। स्कूलों, दफ्तरों, जिम और यहां तक कि कारागारों में भी योग को अपनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के मौके पर कई देशों में सार्वजनिक स्थानों पर योग अभ्यास सत्र आयोजित किए गए।
भारत में योग दिवस 2025 की थीम और आयोजन
थीम:
“योग से वसुधैव कुटुंबकम की ओर”
इस थीम का मकसद है पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में जोड़ना, जहां सभी लोग मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ हों।
मुख्य कार्यक्रम स्थल:
श्रीनगर (कश्मीर)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष श्रीनगर में 50,000 से अधिक लोगों के साथ योग अभ्यास किया। डल झील के किनारे हुए इस कार्यक्रम ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया।
योग के लाभ
🧠 मानसिक लाभ:
- तनाव और अवसाद में कमी
- एकाग्रता में वृद्धि
- नींद की गुणवत्ता में सुधार
शारीरिक लाभ:
- शरीर में लचीलापन और मजबूती
- रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोगों में राहत
- इम्यून सिस्टम मजबूत बनाता है
🧘 आत्मिक लाभ:
- आत्मज्ञान की ओर मार्ग
- सकारात्मकता और संयम की भावना
- जीवन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण
योग के प्रकार
प्रकार | विशेषता |
हठ योग | शारीरिक और मानसिक संतुलन |
राज योग | ध्यान और आत्मचिंतन |
कर्म योग | निष्काम कर्म की भावना |
भक्ति योग | भक्ति के माध्यम से ईश्वर से जुड़ाव |
ज्ञान योग | ज्ञान के माध्यम से आत्मा की खोज |
कैसे मनाएं योग दिवस?
- सामूहिक योग सत्र में भाग लें – स्कूल, कॉलेज या पार्क में आयोजित सत्रों में भाग लें।
- परिवार के साथ योग करें – बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं को साथ लेकर योग करना आनंददायक होता है।
- ऑनलाइन योग वीडियो देखें – यदि बाहर जाना संभव नहीं, तो घर पर ही डिजिटल माध्यम से योग करें।
- योग को दैनिक जीवन में अपनाएं – सिर्फ एक दिन नहीं, योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
सोशल मीडिया पर योग दिवस
आज के डिजिटल युग में #InternationalYogaDay, #YogaForHumanity, #YogaDay2025 जैसे हैशटैग ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ट्रेंड करते हैं। लोग अपनी योग करते हुए तस्वीरें और वीडियो साझा करते हैं।
कोविड-19 और योग
कोरोना महामारी के दौरान भी योग ने एक संजीवनी का काम किया। लॉकडाउन में जब लोग मानसिक तनाव, अकेलेपन और चिंता से जूझ रहे थे, तब योग और ध्यान ने उन्हें राहत पहुंचाई। WHO ने भी योग को मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बताया।
योग को जीवनशैली में शामिल करने के सुझाव
- सुबह उठकर 30 मिनट योग करना शुरू करें।
- मोबाइल के स्थान पर योग मैट को प्राथमिकता दें।
- अपने परिवार और दोस्तों को भी योग के लिए प्रेरित करें।
- सोशल मीडिया पर योग का प्रचार करें।
भारत – योग की भूमि
भारत को योग की जन्मभूमि कहा जाता है। ऋषि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना की, जो योग का आधार है। भारतीय संस्कृति में योग एक आध्यात्मिक अभ्यास रहा है, जो अब वैश्विक आंदोलन बन चुका है। आज जब पूरी दुनिया योग अपना रही है, तो भारत की जिम्मेदारी है कि वह इस धरोहर को और सशक्त बनाए।
निष्कर्ष: योग से जीवन का पुनर्जागरण
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ने, आत्मा की शुद्धता पाने और मानवता की सेवा के लिए तैयार करता है। आइए हम सभी इस योग दिवस पर संकल्प लें कि हम योग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएंगे और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएंगे।
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