जब भी किसी विमान दुर्घटना की खबर आती है, तो एक शब्द सबसे पहले सुनाई देता है – ब्लैक बॉक्स (Black Box)। अक्सर मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि “ब्लैक बॉक्स की तलाश की जा रही है” या “ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद जांच में मदद मिलेगी”।लेकिन आखिर ये ब्लैक बॉक्स होता क्या है? इसका रंग क्या सच में काला होता है? यह विमान में क्यों लगाया जाता है? और सबसे अहम – यह दुर्घटना के बाद किस तरह सच्चाई उजागर करता है?
ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो विमान की उड़ान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को रिकॉर्ड करता है।
ब्लैक बॉक्स दरअसल दो प्रमुख हिस्सों में बंटा होता है:
- Cockpit Voice Recorder (CVR) – यह विमान के पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच होने वाली बातचीत को रिकॉर्ड करता है।
- Flight Data Recorder (FDR) – यह विमान की तकनीकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है जैसे – गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति, तापमान आदि।
क्या ब्लैक बॉक्स वास्तव में काला होता है?
नहीं, ब्लैक बॉक्स का रंग काला नहीं होता। यह आमतौर पर नारंगी (Orange) रंग का होता है ताकि विमान हादसे के बाद इसे आसानी से खोजा जा सके।
दरअसल, इसका नाम “ब्लैक बॉक्स” इसलिए पड़ा क्योंकि यह एक ऐसा डिवाइस है जिसकी अंदर की प्रक्रियाएं आम लोगों के लिए रहस्यमयी होती हैं।
ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है?
ब्लैक बॉक्स एक बेहद मजबूत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डर होता है जो विमान के उड़ान के दौरान हजारों डेटा पॉइंट्स को लगातार रिकॉर्ड करता है। इसमें एक इनबिल्ट मेमोरी होती है जो दुर्घटना के समय तक का पूरा डेटा स्टोर कर सकती है।
मुख्य कार्य:
- विमान की स्थिति और मूवमेंट रिकॉर्ड करना
- पायलट्स की बातचीत को सेव करना
- अलर्ट्स और इंजन साउंड्स को कैप्चर करना
- दुर्घटना से कुछ सेकंड पहले की पूरी घटना को स्टोर करना
ब्लैक बॉक्स कहां लगाया जाता है?
ब्लैक बॉक्स को विमान के पिछले हिस्से में, यानी टेल सेक्शन में लगाया जाता है क्योंकि हादसे के दौरान विमान का पिछला हिस्सा अपेक्षाकृत कम क्षतिग्रस्त होता है। इससे ब्लैक बॉक्स को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
ब्लैक बॉक्स कितना मजबूत होता है?
ब्लैक बॉक्स को बहुत ही कठोर और मुश्किल परिस्थितियों को सहन करने के लिए बनाया जाता है।
यह निम्न परिस्थितियों को भी झेल सकता है:
- 🔥 1100 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी
- 💥 3400 G-फोर्स तक का दबाव
- 🌊 20,000 फीट पानी के नीचे दबाव
- 🧲 चुंबकीय और रासायनिक रिएक्शन
इसका निर्माण टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील जैसे मटेरियल से किया जाता है जो इसे लगभग अविनाशी (Indestructible) बना देता है।
ब्लैक बॉक्स का आकार और वजन
- आकार: लगभग 10 x 5 x 7 इंच
- वजन: करीब 4.5 से 6.8 किलोग्राम
यह किसी सामान्य शू-बॉक्स के आकार का होता है लेकिन काफी भारी और मजबूत होता है।
दुर्घटना में ब्लैक बॉक्स कैसे मदद करता है?
जब विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो पूरी जांच प्रक्रिया ब्लैक बॉक्स से मिलने वाले डेटा पर निर्भर करती है।
जांच कैसे होती है:
- पहले ब्लैक बॉक्स की तलाश की जाती है
- उसे रिवर्स इंजीनियरिंग लैब में ले जाया जाता है
- रिकॉर्ड किया गया डेटा और वॉयस एनालिसिस किया जाता है
- कारणों की जांच होती है जैसे – तकनीकी खराबी, मानवीय गलती या मौसम
ब्लैक बॉक्स की मदद से यह पता चलता है कि दुर्घटना कैसे हुई, किस वजह से हुई और क्या उसे टाला जा सकता था।
ब्लैक बॉक्स की रिकॉर्डिंग कितनी देर की होती है?
- Cockpit Voice Recorder (CVR): 2 घंटे तक की पायलट बातचीत रिकॉर्ड करता है
- Flight Data Recorder (FDR): 25 घंटे तक का टेक्निकल डेटा सेव कर सकता है
यदि दुर्घटना से पहले ये डिवाइस चालू रहे हों, तो ये सबसे अहम सबूत बनते हैं।
पानी के अंदर कैसे खोजा जाता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स में एक Underwater Locator Beacon (ULB) लगा होता है जो विमान के पानी में गिरने की स्थिति में 37.5 kHz की ध्वनि तरंगें भेजता है।
यह बीकन लगभग 30 दिनों तक पानी के अंदर सिग्नल भेज सकता है, जिससे जांच एजेंसियां इसे खोज सकती हैं।
ब्लैक बॉक्स क्यों जरूरी है?
ब्लैक बॉक्स न केवल दुर्घटनाओं की जांच में मदद करता है बल्कि:
- भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करता है
- एयरलाइन सुरक्षा को बेहतर बनाता है
- पायलट प्रशिक्षण और तकनीकी सुधारों में उपयोगी होता है
- पीड़ितों के परिवारों को सच्चाई जानने में मदद करता है
क्या हर विमान में ब्लैक बॉक्स होता है?
हां, सभी वाणिज्यिक यात्री विमानों में ब्लैक बॉक्स लगाना अनिवार्य होता है। छोटे प्राइवेट विमानों में यह ऑप्शनल हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय एविएशन नियमों के अनुसार, सभी बड़े विमानों में इसका होना जरूरी है।
भारत में ब्लैक बॉक्स से जुड़ी चर्चित घटनाएं
✈️ Air India Express (2020, केरल):
जब दुबई से कोझिकोड आ रही फ्लाइट क्रैश हुई, उस वक्त ब्लैक बॉक्स को खोजने में दो दिन लगे। इसकी मदद से पाया गया कि विमान रनवे से फिसल गया था।
✈️ Mangalore Crash (2010):
यह हादसा भारत की सबसे बड़ी विमान दुर्घटनाओं में से एक था। ब्लैक बॉक्स की मदद से साबित हुआ कि पायलट समय रहते निर्णय नहीं ले पाया।
भविष्य में ब्लैक बॉक्स टेक्नोलॉजी
अब ब्लैक बॉक्स को और स्मार्ट और डिजिटल बनाने की योजना चल रही है। जैसे:
- क्लाउड-बेस्ड रिकॉर्डिंग: डेटा तुरंत सर्वर पर स्टोर हो जाए
- रीयल-टाइम मॉनिटरिंग: कंट्रोल रूम को सीधे फीड भेजना
- AI आधारित एनालिसिस: AI खुद से खतरे पहचान सके
निष्कर्ष (Conclusion)
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा मौन गवाह होता है जो किसी विमान दुर्घटना के पीछे की पूरी कहानी बयां करता है। यह पायलट की आखिरी बातचीत से लेकर विमान के हर तकनीकी पहलू को रिकॉर्ड करता है।
विमान दुर्घटनाओं की जांच में यह सबसे भरोसेमंद और जरूरी उपकरण है। अगर किसी हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स मिल जाए, तो यह जांचकर्ताओं को सच्चाई तक पहुंचने में बेहद मदद करता है।
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